हरियाणा की वेशभूषा:
हरियाणा की कला और संस्कृति की पहचान उसकी पारंपरिक वेशभूषा से होती है। इस राज्य की वेशभूषा और आभूषणों से स्पष्ट होता है कि यह हरियाणा की विशिष्ट पहचान है। भारत में हरियाणा की वेशभूषा की एक अलग ही छवि है। दक्षिणी हरियाणा में राजस्थान की संस्कृति और वेशभूषा का प्रभाव देखने को मिलता है। भारतीय इतिहास और संस्कृति में हरियाणा का योगदान महत्वपूर्ण रहा है।


हरियाणा की वेशभूषा (Traditional Dress in Haryana)
पुरुषों की वेशभूषा
धोती-कुर्ता
यह हरियाणा की प्रमुख वेशभूषा है। धोती, जो आमतौर पर सफेद रंग की होती है, कमर के नीचे बांधी जाती है, जबकि सफेद कुर्ता इसके साथ पहना जाता है। धोती-कुर्ता हरियाणा की शान मानी जाती है। कुछ लोग धोती के साथ सफेद पायजामा भी पहनते हैं। Buy Nowपगड़ी
पगड़ी, या जिसे देसी भाषा में पागड़ी भी कहा जाता है, सिर पर बांधने के लिए इस्तेमाल की जाती है। यह आमतौर पर सफेद रंग की होती है और शहरी इलाकों में इसे टोपी के रूप में जाना जाता है। Buy Nowगुलीबन्द
यह सर्दियों में पहने जाने वाला ऊनी वस्त्र होता है, जिसे गर्दन पर लपेटा जाता है। स्थानीय भाषा में इसे मफलर भी कहा जाता है। Buy Nowदुशाला या कंबल
सर्दियों में पहने जाने वाला मोटा ऊनी वस्त्र होता है, जिसे बुजुर्ग लोग खासतौर पर इस्तेमाल करते हैं। इसे शॉल भी कहा जाता है। Buy Nowखेस
यह प्रारंभिक सर्दियों में पहना जाता है और मोटे सूती कपड़े से बना होता है। Buy Nowदोहर
यह हाथ से बनी बारीक सूती चादर होती है, जिसे सर्दियों में पहना जाता है। Buy Nowरुई की कमरी
यह रुई से भरी हुई जैकेट होती है, जिसे मिरजई भी कहा जाता है। Buy Nowकमरी या बूंड़ी
यह आधी आस्तीन की कमर तक जैकेट होती है, जो प्रारंभिक सर्दियों में पहनी जाती है। Buy Nowअंगरखा
यह एक लंबा कलीदार पहनावा होता है, जिसे दरबारी ढंग का कुर्ता भी कहा जाता है। Buy Now
अन्य महत्वपूर्ण पुरुषों की वेशभूषा:
महिलाओं की वेशभूषा
हरियाणा में महिलाओं की पारंपरिक वेशभूषा में दामन और कुर्ता शामिल है। आइए, हम विस्तार से देखें कि महिलाओं की वेशभूषा में कौन-कौन से ओढ़नियाँ शामिल हैं:
ओढ़ना
गोटा लगी ओढ़ना, जिसे ओढ़नी भी कहा जाता है, महिलाओं द्वारा सिर पर ओढ़ा जाता है।छ्यामा
यह पीले पाट की ओढ़नी होती है।लहरिया
बंधाई पद्धति से तैयार की गई ओढ़नी।पीलिया
पीले रंग की ओढ़नी, जिसके किनारों पर लाल कढ़ाई की होती है। यह बच्चे के जन्म पर पीहर वालों की तरफ से दी जाती है।ढिमाच
रेशमी ओढ़नी, जिसे विवाह के समय दुल्हन द्वारा पहना जाता है।सोपली
गहरे लाल रंग की ओढ़नी, जिसे मांगलिक ओढ़नी भी कहा जाता है।गुमटी
सूती रंगीन कपड़े पर रेशमी बिंदियों से कढ़ाई की हुई ओढ़नी।कंघ
गहरे लाल रंग की ओढ़नी, जिसमें विभिन्न प्रकार की कढ़ाई होती है।फुलकारी
इसके चारों ओर डब्बीनुमा आकार की कढ़ाई की जाती है।दुकानिया
खद्दर की गहरे लाल रंग की ओढ़नी, जो पीले रंग के धागों से कढ़ाई की जाती है।चुंदड़ी
पतली ओढ़नी, जिसके पल्ले लाल रंग के होते हैं।
महिलाओं की अन्य वेशभूषा:
- घाघरा: सूती कपड़े का बना होता है, जो यार या लाल और काले रंग का होता है।
- दामण: सूती कपड़े का, यार या लाल और काले रंग का।
- बोरड़ा: खद्दर के कपड़े का, जिसमें फूल छपे होते हैं।
- लैह: नीले रंग का सूती कपड़ा, जिसमें पीले पाट की कढ़ाई होती है।
सभी वेशभूषा की प्रमुखताएं और बदलाव:
- समीज और कमीज/कुर्ती: सलवार के ऊपर पहनी जाती हैं।
- सलवार: कुर्ते के नीचे पहनी जाती है, जो आजकल युवाओं में लोकप्रिय है।
- जाम्फर: शरीर के ऊपरी हिस्से में पहना जाता है।
नई वेशभूषा
भारत में जातीयता, भूगोल, जलवायु, और सांस्कृतिक परंपराओं के आधार पर वस्त्र धारण किए जाते हैं। ग्रामीण इलाकों में पुरानी संस्कृति और रीति-रिवाजों के अनुसार वस्त्र पहने जाते हैं, जबकि शहरी क्षेत्रों में यह संस्कृति धीरे-धीरे बदल रही है। आजकल लोग निम्नलिखित वस्त्रों का उपयोग कर रहे हैं:
- प्लाजो
- साड़ी
- लहंगा/लांचा
- स्कर्ट
- लैगी
- फ्रॉक
- जीन्स और पेंट
हरियाणा की वेशभूषा का उपयोग
रजाई या सौड़: सर्दियों में ओढ़ी जाती है। शहरी इलाकों में फोम वाली रजाई का प्रयोग किया जाता है। कंबल: कपड़े, ऊन और रेशम का छोटा टुकड़ा, जिसका उपयोग आजकल किया जा रहा है। गदेला: रुई से भरा हुआ होता है, जो मंजी और बेड पर बिछाया जाता है। बिछौना: कपड़े से बना गदेला, जिसमें पुराने कटे-फटे वस्त्र भरे होते हैं। दरी: मोती सुई के धागों से बनी होती है, जिसका उपयोग नीचे बिछाने के लिए किया जाता है।
बच्चों की वेशभूषा
झुग्गा: छोटे बच्चों के पहनावे के लिए प्रयोग किया जाता है।
फरगल: एक प्रकार की टोपी, जिसे सर्दियों में पहना जाता है। इसकी झालर कमर तक लटकती रहती है।
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